1. हे श्रिष्टि के रचयता पालता मुक्तिदाता आप को षाष्टांग प्रणाम 2. 84 लाख प्रजातियों में हमें मानव प्रजाति प्रदान करने के लिये आप को पुन: षाष्टांग प्रणाम 3. अनन्त आबादी में हमें ही अपने भव्य रूप व व्यवस्था का साक्षात्कार कराने के लिये आप को पुन: षाष्टांग प्रणाम 4. आप के द्वारा अपनी प्राणी न्याय व्यवस्था के लिये हमारे लोक, वर्ष, कुल, परिवार शरीर व नेकता को चुनने के लिये आप को पुन: षाष्टांग प्रणाम 5. आपकी प्राणी न्याय व्यवस्था के लिये शक्तियासन ग्रहण करने से पैहैले आप को पुन: षाष्टांग प्रणाम 6. अन्यायियों के स्म्रिति-लोपन व त्रुटि-सहित अभिव्यक्ति के कारण हमारे निर्णय में त्रुटि होना सम्भव है क्रिपया स्मरण कराते रहें हम सत्य, निष्ठा, स्म्रिती आधार पर त्रुटियों को पूर्णत: समाप्त कर त्रुटि रहित न्याय देते रैहैने का वचन देते हुये आप को पुन: षाष्टांग प्रणाम करते है 7. हम सक्षम बने रहने तक श्रिष्टि प्राणी न्याय व्यवस्था करते रहेंगे इस वचन के साथ आप को पुन: षाष्टांग प्रणाम श्रिष्टिशक्त्यासक श्रिपक